शिशुओं के पहली बार दांत कब निकलते हैं? |
ऐसा माना जाता है कि बच्चों के दूध के दांत छह माह की आयु से निकलने शुरू हो जाते हैं। वहीं, कुछ बच्चों के दांत चार माह की आयु में भी निकल आते हैं (1)। बच्चों के दांत तब निकलते हैं, जब दांत मसूड़ों के अंदर से बाहर की ओर आते हैं।
शिशुओं में देरी से दांत निकलने में होने वाली समस्याएं
अगर आपके बच्चे के दांत निकलने में देरी हो रही है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। इसके कई कारण हो सकते हैं। अगर आपके बच्चे के बाल, त्वचा और हड्डियां सही हैं, तो फिर डरने की कोई बात नहीं है। दांतों के देरी से निकलने पर बच्चे के शारीरिक विकास पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
देरी से दांत निकलने के कुछ कारण:
• आनुवंशिक : अगर माता या पिता के दांत बचपन में देरी से निकले हों तो बच्चे के दांत भी देरी से निकल सकते हैं।
• पोषण में कमी : बच्चे के शरीर में पोषण की कमी के कारण दांत देरी से निकल सकते हैं।
• समय से पहले जन्म : जिन बच्चों का जन्म समय से पहले होता है, उनके दांत भी देरी से निकल सकते हैं। (3)।
अगर आपकी कोई फैमिली हिस्ट्री नहीं है और आप अपने बच्चे को भरपूर पोषण दे रहे हैं, लेकिन तब भी आपके बच्चे के दांत समय से नहीं निकल रहे हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
शिशुओं में दांत निकलने के लक्षण
जब बच्चों के दांत निकलते हैं, तब उनके मसूड़े थोड़े सूज जाते हैं और उनमें दर्द भी होता है। यह दर्द दांत निकलने के 3 से 6 दिन पहले होता है और दांत निकलने के बाद चला जाता है। कुछ बच्चों के दांत आराम से निकल आते हैं, जबकि कुछ को दर्द का सामना करना पड़ता है। दांत निकलने के कुछ लक्षण नीचे दिए गए हैं (4) :
1. मसूड़ों में सूजन : मसूड़े सूजकर लाल रंग के हो जाते हैं, जिस कारण दर्द होता है।
2. लार टपकना : इस दौरान बच्चे के मुंह से ज्यादा लार टपकती रहती है। जब तक दांत नहीं निकल जाता, तब तक लार निकलती रहती है।
3. कानों को खींचना : मसूड़ों में दर्द होने की वजह से बच्चों के कानों में भी दर्द होता है, क्योंकि कानों और मसूड़ों का एक ही नर्वस सिस्टम होता है। इस वजह से बच्चे अपने कान खींच सकते हैं।
4. ज्यादा काटना और चबाना : मसूड़ों में दर्द होने की वजह से बच्चे ज्यादा काटते हैं। साथ ही खिलौने व कपड़े आदि चबाते हैं, ताकि उन्हें दर्द से राहत मिल सके। इस दर्द की वजह से बच्चे बार-बार रोते भी हैं।
5. कम खाना : तरल पदार्थ ग्रहण करने और खाना चबाने की वजह से बच्चों के मसूड़ों में और भी ज्यादा दर्द हो सकता है, जिस वजह से बच्चे ठीक से कुछ खाते नहीं हैं। ऐसा करने से उनकी सेहत पर असर पड़ता है।
6. गाल खींचना : मसूड़ों में दर्द के कारण बच्चे अपने गालों और ठोड़ी को खींचते हैं, ताकि उन्हें मसूड़ों में होने वाले दर्द से कुछ आराम मिल सके।
7. रैशेज : ज्यादा लार टपकने की वजह से बच्चों के मुंह और छाती के आसपास रैशेज हो जाते हैं, जिसकी वजह से बच्चे और भी ज्यादा परेशान हो जाते हैं।
इन सब लक्षणों के अलावा, अगर आपका बच्चा लगातार रोता रहे या आपको उसके स्वास्थ्य में ज्यादा उतार-चढ़ाव दिखाई दे, तो डॉक्टर के पास जाना बेहतर विकल्प होगा।
बच्चों के दांत निकलने की होम्योपैथिक दवा
ऐसा माना जाता है कि दांत निकलने से करीब दो माह पहले ही शिशु को दर्द शुरू हो जाता है। वहीं, दांत के मसूड़ों से बाहर आ जाते ही दर्द कम हो जाता है या फिर पूरी तरह से खत्म हो जाता है। इसलिए, जब भी शिशु का नया दांत आने लगता है, उसका दर्द शुरू हो जाता है और दांत निकलते ही कम या खत्म होने लगता है। शिशु को सबसे ज्यादा दर्द दाढ़ निकलते समय होता है, क्योंकि उसका आकार दांत से बड़ा होता है।
दांत निकलने से पहले बच्चों को काफी दर्द होता है और वो चिड़चिड़े भी हो जाते हैं। इस दौरान उनमें कैल्शियम की कमी भी हो सकती है। ऐसे में अगर बच्चों को होम्योपैथिक दवा दी जाए, तो उन्हें कुछ हद तक आराम मिल सकता है। होम्योपैथिक दवा मीठी होती है, जिस कारण बच्चे उसे आराम से खा लेते हैं। ध्यान रहे कि बच्चों को होम्योपैथिक दवा डॉक्टर की सलाह पर ही दें।
आपके शिशु के दांत दर्द को कम करने के लिए घरेलू उपचार
अपने बच्चे को दर्द में देखना किसी भी माता-पिता के लिए दुखदायी होता है। उस दर्द को दूर करने के लिए हम यहां कुछ घरेलू उपचार बता रहे हैं :
1. चबाने के लिए नर्म और गीला कपड़ा : अपने बच्चे को साफ-सुथरा, नर्म और गीला कपड़ा चबाने के लिए दें। इसके अलावा, ठंडी चीजों से बच्चे का दर्द कम होने में मदद मिलती है और उसकी चबाने की इच्छा भी पूरी हो जाती है (5)।
2. टीथर : आप अपने बच्चे को ठंडा टीथर भी दे सकते हैं। ध्यान रखें कि यह ज्यादा ठंडा न हो, क्योंकि इससे बच्चे का दर्द बढ़ भी सकता है। बच्चे को टीथर देने से पहले एक बारर डॉक्टर से जरूर पूछे लें।
3. ठंडा खाना या आइसक्रीम : अगर आपके बच्चे ने ठोस खाना खाना शुरू कर दिया है, तो आप उसे मेष टीथर दे सकती हैं, जिसमें आप कुछ खाना या आइसक्रीम डालकर बच्चे को चूसने के लिए दे सकती हैं।
4. मालिश : आप अपने बच्चे के मसूड़ों पर साफ उंगली से मालिश कर सकती हैं। इससे बच्चे के मसूड़ों का दर्द कुछ हद तक कम हो सकता है (6)।
5. ज्यादा प्यार करें : आपका बच्चा कितना भी बीमार हो, लेकिन उसे अपने माता-पिता के प्यार की हमेशा जरूरत होती है। बच्चे को गले लगाएं और प्यार दें। आपका प्यार बच्चे के दर्द को दूर कर सकता है।
6. ठोस खाना : दही व सेब से बनी सॉस दर्द कम करने में मदद कर सकती है।
7. बच्चे का ध्यान रखें : अपने बच्चे को नया खिलौना दें और ज्यादा से ज्यादा समय बच्चे के साथ बिताएं। इससे बच्चे का ध्यान दर्द की जगह आपके साथ खेलने में रहेगा।
8. बादाम का एक्सट्रेक्ट: थोड़ा-सा बादाम का एक्सट्रेक्ट लें और उसमें कुछ बूंदें पानी की मिला दें। अब एक साफ कपडा लें और इस मिश्रण को कपड़े पर डालें। इस कपड़े को अपने बच्चे के मसूड़ों पर हल्का-हल्का लगाएं। बच्चे को दर्द से थोड़ी राहत मिलेगी।
शिशुओं में दांत निकलने का दर्द कब तक रहता है?
ऐसा माना जाता है कि दांत निकलने से करीब दो माह पहले ही शिशु को दर्द शुरू हो जाता है। वहीं, दांत के मसूड़ों से बाहर आ जाते ही दर्द कम हो जाता है या फिर पूरी तरह से खत्म हो जाता है। इसलिए, जब भी शिशु का नया दांत आने लगता है, उसका दर्द शुरू हो जाता है और दांत निकलते ही कम या खत्म होने लगता है। शिशु को सबसे ज्यादा दर्द दाढ़ निकलते समय होता है, क्योंकि उसका आकार दांत से बड़ा होता है।
शिशु के दांतों की देखभाल
बच्चों के दूध के दांत नाजुक होते हैं और उनका ध्यान पक्के दांतों से ज्यादा रखना पड़ता है। अगर बच्चों के दांतों का ध्यान शुरुआत से ही रखा जाए, तो पक्के दांत निलकने पर उन्हें कोई परेशानी नहीं होती है। दांतों की देखभाल के लिए नीचे हम कुछ टिप्स दे रहे हैं :
1. नर्म कपड़े से बच्चे के मसूड़ों को साफ करें। इससे बच्चे के नाजुक मसूड़ों को नुकसान भी नहीं होगा और मसूड़ों की सफाई भी हो जाएगी।
2. बच्चे की प्लेट, चम्मच और कटोरी को अलग रखें। बच्चों के बर्तन और कोई उपयोग न करें, क्योंकि इससे उन्हें इंफेक्शन हो सकता है।
3. ऐसा खाना दें, जो विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर हो। इस तरह के खाने से आपके बच्चे के दांत और भी ज्यादा मजबूत बनेंगे। आपके बच्चे को कैल्शियम, फ्लोराइड, फास्फोरस और विटामिन-डी की जरूरत होती है। इनसे बच्चे के दांत मजबूत बनते हैं और मसूड़े भी मजबूत हो जाते हैं।
4. बच्चे को खाने-पीने के लिए मीठी चीजें न दें। इससे उनके दांतों में कैविटी होने की आशंका बढ़ जाती है।
5. जब बच्चे के 20 दांत निकल आएं, तब डेंटल चेकअप करवाएं।
6. अपने बच्चे को बोतल की जगह कप से दूध पिलाने की कोशिश करें। बोतल से दूध पीने की वजह से दांतों को नुकसान पहुंचता है, क्योंकि दूध मुंह और दांतों के हर छोटे से छोटे हिस्से में चला जाता है और लंबे समय तक रहता है। जब बच्चे की आयु 12 से 24 महीने के बीच में हो, तभी से उसकी बोतल से दूध पीने की आदत छुड़ाने की कोशिश करें (7)।
7. मीठी दवाइयों की वजह से भी बच्चों के दांत खराब होते हैं, क्योंकि वो दांतों में चिपक जाती हैं। इसलिए, दवाइयां देने के बाद बच्चे को कुल्ला जरूर करवाएं।
8. जब बच्चा 18 महीने का हो जाए, तब आप बच्चे को ब्रश करवाने में मदद कर सकती हैं।
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